Sunday, March 14, 2010

भावपुर्ण श्रध्दांजली!!!


चुकली दिशा तरीही

चुकली दिशा तरीही हुकले न श्रेय सारे ;
वेड्या मुशाफिराला सामील सर्व तारे .

मी चालतो अखंड चालायचे म्हणून ;
धुंदीत या गतीच्या सारेच पंथ प्यारे .

डरतात वादळांना जे दास त्या ध्रुवाचे ;
हे शीड तोडले की अनुकुल सर्व वारे .

मग्रूर प्राक्तनाचा मी फाडला नकाशा ;
विझले तिथेच सारे ते मागचे इशारे .

चुकली दिशा तरीही आकश एक आहे ,
हे जाणतो तयाला वाटेल तेथ न्या रे .

आशा तशी निराशा , हे श्रेय सावधांचे ;
बेसावधास कैसे डसणार हे निखारे..

Thursday, December 10, 2009

आज कल पॊंव जमीं पर....

चित्रपट: घर
संगीतकार: आर. डी. बर्मन
गीतकार: गुलजार
गायक: लता

आज कल पॊंव जमी पर

(आज कल पाँव ज़मीं पर नहीं पड़ते मेरे
बोलो देखा है कभी तुमने मुझे उड़ते हुए) -२
आज कल पाँव ज़मीं पर नहीं पड़ते मेरे

जब भी थामा है तेरा हाथ तो देखा है -२
लोग कहते हैं के बस हाथ की रेखा है
हमने देखा है दो तक़दीरों को जुड़ते हुए
आज कल पाँव...

नींद सी रहती है, हलका सा नशा रहता है
रात-दिन आँखों में इक चहरा बसा रहता है
पर लगी आँखों को देखा है कभी उड़ते हुए
आज कल पाँव...

जाने क्या होता है हर बात पे कुछ होता है
दिन में कुछ होता है और रात में कुछ होता है
थाम लेना जो कभी देखो हमें उड़ते हुए
आज कल पाँव...

आज कल पाँव ज़मीं पर नहीं पड़ते मेरे



घुंगरू की तरह.....

चित्रपट: चोर मचाये शोर
संगीतकार: रवींद्र जैन
गीतकार: रवींद्र जैन
गायक: किशोरकुमार

घुंगरू की तरह......

घुँघरू की तरह बजता ही रहा हूँ मैं
कभी इस पग में कभी उस पग में बँधता ही रहा हूँ मैं
घुँघरू की तरह ...

कभी टूट गया कभी तोड़ा गया
सौ बार मुझे फिर जोड़ा गया
यूँ ही टूट-टूट के, फिर जुट-जुट के
बजता ही रहा हूँ मैं
घुँघरू की तरह ...

मैं करता रहा औरों की कही
मेरे मन की ये बात मन ही में रही
है ये कैसा गिला जिसने जो कहा
करता ही रहा हूँ मैं
घुँघरू की तरह ...

अपनों में रहे या ग़ैरों में
घुँघरू की जगह तो है पैरों में
कभी मन्दिर में कभी महफ़िल में
सजता ही रहा हूँ मैं
घुँघरू की तरह ...

ओ निगाहे मस्ताना.......

चित्रपट: पेईंग गेस्ट ( १९५७ )

गायक: आशा भोसले, किशोर कुमार

संगीतकार: एस. डी. बर्मन

गीतकार: मजरूह सु्ल्तानपूरी


ओ निगाहें मस्ताना.....